Wednesday, 15 January 2025

हाइपरप्रोलैक्टिनेमिया: अंडोत्सर्जन में बाधा डालने वाले अधिक प्रोलैक्टिन स्तर

 हाइपरप्रोलैक्टिनेमिया क्या है?


हाइपरप्रोलैक्टिनेमिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर में प्रोलैक्टिन नामक हार्मोन का स्तर सामान्य से अधिक हो जाता है। प्रोलैक्टिन हार्मोन मुख्य रूप से स्तनपान के दौरान दूध उत्पादन को प्रोत्साहित करता है, लेकिन इसके अधिक स्तर होने से महिलाओं में मासिक धर्म (महावारी) चक्र  और अंडोत्सर्जन (ओवुलेशन) में समस्या हो सकती है।

प्रोलैक्टिन के उच्च स्तर के कारण

हाइपरप्रोलैक्टिनेमिया के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें प्रमुख हैं:

  1. पिट्यूटरी ग्रंथि में ट्यूमर (प्रोलैक्टिनोमा): यह प्रोलैक्टिन उत्पादन को नियंत्रित करने में असमर्थ बनाता है।
  2. दवाइयों का प्रभाव: कुछ दवाइयाँ, जैसे एंटी-डिप्रेसेंट और हाई ब्लड प्रेशर की दवाइयाँ, प्रोलैक्टिन स्तर को बढ़ा सकती हैं।
  3. थायरॉइड की समस्याएं: हाइपोथायरॉइडिज्म भी प्रोलैक्टिन के स्तर को बढ़ा सकता है।
  4. तनाव और शारीरिक थकावट: अधिक मानसिक और शारीरिक तनाव से भी प्रोलैक्टिन का स्तर बढ़ सकता है।

हाइपरप्रोलैक्टिनेमिया के लक्षण


इस स्थिति के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं:

  • मासिक धर्म चक्र में अनियमितता
  • बांझपन (इनफर्टिलिटी)
  • स्तनों से दूध का असामान्य रिसाव (गैर-गर्भवती और स्तनपान न कराने वाली महिलाओं में)
  • सिरदर्द और दृष्टि समस्याएं (यदि पिट्यूटरी ट्यूमर हो)
  • सेक्स ड्राइव में कमी

हाइपरप्रोलैक्टिनेमिया और अंडोत्सर्जन


प्रोलैक्टिन का उच्च स्तर महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालता है। यह हार्मोनल असंतुलन पैदा करता है, जिससे अंडोत्सर्जन की प्रक्रिया बाधित होती है। ओवुलेशन में रुकावट के कारण महिला गर्भधारण नहीं कर पाती है।

उपचार और प्रबंधन

हाइपरप्रोलैक्टिनेमिया का उपचार इसके कारणों पर निर्भर करता है। कुछ सामान्य उपचार विधियाँ निम्नलिखित हैं:

  1. दवाइयों द्वारा उपचार: दवाइयाँ प्रोलैक्टिन स्तर को नियंत्रित करने में सहायक होती हैं।
  2. सर्जरी: यदि प्रोलैक्टिनोमा दवाओं से नियंत्रित नहीं होता, तो सर्जरी का विकल्प चुना जा सकता है।
  3. लाइफस्टाइल में बदलाव: तनाव प्रबंधन, नियमित व्यायाम, और संतुलित आहार से भी प्रोलैक्टिन स्तर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
  4. आयुर्वेदिक उपचार: अश्वगंधा, शतावरी, और त्रिफला जैसी जड़ी-बूटियाँ हॉर्मोनल संतुलन बनाने में सहायक हो सकती हैं।

निवारण के उपाय

हाइपरप्रोलैक्टिनेमिया से बचाव के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं:

  • नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच करवाएं।
  • तनाव को कम करने के लिए योग और ध्यान का अभ्यास करें।
  • थायरॉइड और अन्य हार्मोनल समस्याओं का समय पर इलाज करवाएं।

निष्कर्ष

हाइपरप्रोलैक्टिनेमिया एक गंभीर स्थिति हो सकती है, लेकिन सही समय पर पहचान और उपचार से इसे प्रभावी रूप से प्रबंधित किया जा सकता है। महिलाओं को अपने मासिक धर्म चक्र और प्रजनन स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए और किसी भी असामान्य लक्षण पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।

(इलाज के लिए डॉक्टर से परामर्श करें।)




 डॉ. भूषण काळे                                                                                 डॉ .स्मिता काळे 

  एम एस (प्रसूती व स्त्री रोग )                                                                  एम डी (पंचकर्म ) केरळ

                       आयुभूषण आयुर्वेदिक वंध्यत्व निवारण आणि केरळीय पंचकर्म चिकित्सालय

                             (वंध्यत्व, स्त्रीरोग, गर्भसंस्कार, सुवर्णप्राशन, केरळीय पंचकर्म)

                                                       9665351355 / 8888511522

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